Mukesh Kumar Soni

आदमी बदलता ही गया


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आदमी बदलता ही गया
पहले क्या था
क्या हो गया।
हर जन में
हिंसा हो गया।
शर्मो हया का
हर पट हो गया।
मुड़ा नहीं फिर पीछे
जो गया।
चाहत का हर दिल
खो गया।
अपने ही करनी पर
रो गया।
आलस में हर कोई
सो गया।
धीरे-धीरे आदमी
बदलता ही गया............
बदलता ही गया............
बदलता ही गया...........।
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