आँखों के तनाव से रोग ।
सामान्यतः लोगों को इस तथ्य का आभाष तक नहीं होता है कि आँखों के तनाव से आत्मसंतोष में अत्यंत कमी और रोगों की मात्रा बढ़ती है । यहाँ तक कि बहुत सारे लोग अच्छे खाने और दैनिक जीवन में ठीक ठाक रहने के बावजूद भी अपने वैचारिक और शारीरिक रोगों पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं । यदि गहराई से उनके दैनिक क्रिया कलापों को देखा जाये तो उनकी आँखों में तनाव की मात्रा बहुत अधिक होती है । इसीलिए उनके मस्तिष्क में स्थित प्रमुख ग्रंथियाँ अस्वाभाविक रूप से रसों को छोड़ने लगती हैं । ग्रंथियाँ इन हार्मोन्स को या तो बहुत कम मात्रा में और या आवश्यकता से अधिक मात्रा में रक्त के अंदर छोड़ने लगती हैं जिससे स्वभाव में बहुत जल्दी जल्दी परिवर्तन देखा जाता है ।
यहाँ तक कि ज़्यादातर लोगों में तो शारीरिक अभ्यास , योग प्राणायाम ध्यान के बावजूद भी रोगों पर नियंत्रण नहीं हो पाता है । क्योंकि इन सभी अभ्यासों में कुछ कमी होती है जिससे उनकी आँखों के तनाव में कमी नहीं आ पाती है ।
इसीलिए सभी क्रियाओं को करने के बावजूद भी उनकी आँखों के तनाव में कमी नहीं आती है , इसीलिए उनकी समस्याएँ जस की तस बनी रहती हैं ।
मेरे स्वयं के अनुभव में किसी भी रोगी व्यक्ति के अंदर आत्म संतोष की मात्रा को जानने पर सबसे अधिक महत्व दिया जाता है । यदि स्वसंतोष न बढ़ा तो रोग जस का तस रहेगा । यहाँ तक कि यदि रोग न भी हो तो भी भविष्य में रोगों के होने की संभावनायें प्रबल हो जाती हैं ।