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' आनंद लहर , चाहो और पा लो ' ( Audio book summary )


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आपके आनंद की जिम्मेदारी लेने वाला कौन है? घट रहा है। इस तरह जब सब कुछ आपके
यदि आपको आनंदपूर्वक रहना है तो उसकी जिम्मेदारी लेने वाला कौन है? आपके पिता, अंदर ही घटित हो रहा है, केवल आपको पत्नि, संतान या मित्र ? आप जिन चीजों की कामना करते हैं, उन्हें पाने का मार्ग क्या है? इन बातों पर एक-एक करके विचार करें। है। पर्वत शिखर पर तैर रहे बादल चोटियों से टकरा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में सूरज पीले रंग में भीग कर डूब रहा है। आप इस रमणीय दृश्य को देख रहे हैं। बताइए, दृश्य कहां है? उस पहाड़ पर ? आसमान में? इत्मीनान से घटित हो रहा है? आपकी आंखों के पर्दे पर है? आपके भीतर ही न ?
सद्गुरु, संस्थापक, शाम की सुरम्य वेला ईसा फाउंडेशन
इच्छा साकार होने से क्यों इनकार कर रही है। प्रसन्न रहने के लिए आप सौ-सौ शर्ते लगा रहे हैं। पत्नी ऐसी होनी चाहिए। मेरा बच्चा वैसा होना चाहिए। इस प्रकार की सैकड़ों शर्ते लगाते जाएंगे तो आपका आनंद किसी दूसरे के नियंत्रण में चला जाएगा। अगर आप आनंद में रहेंगे और प्रेमपूर्वक बरतेंगे तो अपने आसपास के लोगों को प्रसन्न रख सकेंगे। यदि आप दुख में, मायूसी में डूबे रहेंगे तो अपने इर्द-गिर्द रहने वालों की खुशियों को भी बिगाड़ देंगे।
ध्यान दीजिए, आपकी इच्छा दरअसल कहाँ अपनी जड़ जमाए हुए हैं?
आपने सोचा था, शादी हो जाए तो खुशी मिलेगी। शादी हुई। फिर ख्याल आया बच्चे सोचकर बताइए। इस दृश्य का अनुभव कहां होने पर ही जीवन पूर्ण होगा, खुशी उसी में है। खुशी से जीना है, यही लालसा तो आपको उसका बिंब गिरता है और दिमाग को सूचना सभी इच्छाओं के मूल में छिपी हुई है। आपने भेजता है। आपके अनुभव में अब पहाड़ कहां जो मांगा, वह तो मिल गया। लेकिन संतोष के बिना आगे.... और आगे... वो इच्छा एक से दूसरी चीज की ओर लपकती जा रही है। ऐस क्यों? गलती कहां हुई? क्या यह आपकी त्रुटि है या इच्छा को ?
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