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दोस्तों नमस्कार , हमारे जीवन मे ,हम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़ी तमाम ऐसी बाते होती रहती है जिस पर हम सबका कुछ न कुछ अपनी बात रखने का मन करता है , यूं तो हम बहुत कुछ बदल नहीं सकते पर अपनी दिल की बात बेबाकी से रखकर सिस्टम मे अपने होने का अहसाह खुद भी कर सकते है और दूसरों को भी करा सकते है, ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम,मुर्दा दिल ख़ाक जिया करते हैं। ऐसी तमाम घटनाओ पर आपके साथ रोज हम और आप मिलकर रखेंगे आपकी अपनी बात
पाश दादा की कविता के साथ
सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है
दोस्तों नमस्कार , हमारे जीवन मे ,हम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़ी तमाम ऐसी बाते होती रहती है जिस पर हम सबका कुछ न कुछ अपनी बात रखने का मन करता है , यूं तो हम बहुत कुछ बदल नहीं सकते पर अपनी दिल की बात बेबाकी से रखकर सिस्टम मे अपने होने का अहसाह खुद भी कर सकते है और दूसरों को भी करा सकते है, ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम,मुर्दा दिल ख़ाक जिया करते हैं। ऐसी तमाम घटनाओ पर आपके साथ रोज हम और आप मिलकर रखेंगे आपकी अपनी बात
पाश दादा की कविता के साथ
सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है