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एक ज़माना था, जब किताब छपवाना लोगों के लिए किसी सपने जैसा होता था। एक किताब के लिखने से लेकर उसकी प्रिंटिंग, बाइंडिंग और प्रकाशित होकर बाज़ार में आने में लंबा समय लगता था। लेकिन अब नई तकनीक आने से चीजें बिलकुल बदल चुकी हैं। पहले यह सिर्फ़ पब्लिशर पर निर्भर करता था कि कौन सी किताब छपने योग्य है या नहीं। अब किताब पब्लिश होने के तमाम दूसरे साधन उपलब्ध हैं। यानी पब्लिशर तो आज भी मौजूद हैं। लेकिन अब आप ख़ुद भी अपनी किताब पब्लिश कर सकते हैं। इस किताब में वह सारे तरीक़े बताये गये हैं, जिनमें से किसी एक को चुनकर आप अपनी किताब पब्लिश कर सकते हैं।
एक ज़माना था, जब किताब छपवाना लोगों के लिए किसी सपने जैसा होता था। एक किताब के लिखने से लेकर उसकी प्रिंटिंग, बाइंडिंग और प्रकाशित होकर बाज़ार में आने में लंबा समय लगता था। लेकिन अब नई तकनीक आने से चीजें बिलकुल बदल चुकी हैं। पहले यह सिर्फ़ पब्लिशर पर निर्भर करता था कि कौन सी किताब छपने योग्य है या नहीं। अब किताब पब्लिश होने के तमाम दूसरे साधन उपलब्ध हैं। यानी पब्लिशर तो आज भी मौजूद हैं। लेकिन अब आप ख़ुद भी अपनी किताब पब्लिश कर सकते हैं। इस किताब में वह सारे तरीक़े बताये गये हैं, जिनमें से किसी एक को चुनकर आप अपनी किताब पब्लिश कर सकते हैं।