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ध्यान एक परम शांति की स्थिति है। जब एक साधक इस स्थिति को उपलब्ध हो जाता है तो वो एक ऐसी दुनिया में अपने आपको पाता है जो बाहरी दुनिया से काफी अलग और अनूठी होती है। यदि एक बार साधक इसका अनुभव कर लेता है तो बार बार ऐसी स्थिति को पाने का प्रयास करता है। आखिर क्यों खास है ये अनुभव है और कैसे एक अतुलनीय दुनिया है ध्यान की दुनिया?
By HH Sudhanshu ji Maharajध्यान एक परम शांति की स्थिति है। जब एक साधक इस स्थिति को उपलब्ध हो जाता है तो वो एक ऐसी दुनिया में अपने आपको पाता है जो बाहरी दुनिया से काफी अलग और अनूठी होती है। यदि एक बार साधक इसका अनुभव कर लेता है तो बार बार ऐसी स्थिति को पाने का प्रयास करता है। आखिर क्यों खास है ये अनुभव है और कैसे एक अतुलनीय दुनिया है ध्यान की दुनिया?