सुख भविष्य के बहुत नजदीक नहीं होता। दुख का वर्तमान इतना लंबा, नुकीला होता है कि भविष्य में उसकी नोक घुसी होती है। सुख थोड़ा लचीला होता है। इतना लचीला कि 5 मिनट के सुख को खींच-खींच कर किसी तरह 11 मिनट तक ले आए। बारहवें मिनट में सुख के टूट जाने का डर होता है।
- विनोद कुमार शुक्ल