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अनंत एवं अतीन्द्रिय सुख का अनुभव
Experiencing infinite and ‘supersensory’ bliss!
सामान्य जीवन के जो सुख हैं वो इन्द्रियों से जुड़े हुए हैं, अस्थाई हैं। इन सुखों के साथ दुःख और कई तरह के द्वन्द जुड़े हुए हैं। लेकिन एक ऐसी भी अवस्था है जहाँ सुख अतीन्द्रिय, यानी इन्द्रियों से परे, एवं अनंत है। जिसे अनुभव करने के बाद किसी और सुख की कामना नहीं रहती। एक ऐसी अवस्था जहां पहुँच कर आप लौटना न चाहे। जहा प्रेम और आनंद के सिवा कुछ भी नहीं हैं। कहाँ और कैसे होता है ऐसे परम सुख का अनुभव?
By HH Sudhanshu ji Maharajअनंत एवं अतीन्द्रिय सुख का अनुभव
Experiencing infinite and ‘supersensory’ bliss!
सामान्य जीवन के जो सुख हैं वो इन्द्रियों से जुड़े हुए हैं, अस्थाई हैं। इन सुखों के साथ दुःख और कई तरह के द्वन्द जुड़े हुए हैं। लेकिन एक ऐसी भी अवस्था है जहाँ सुख अतीन्द्रिय, यानी इन्द्रियों से परे, एवं अनंत है। जिसे अनुभव करने के बाद किसी और सुख की कामना नहीं रहती। एक ऐसी अवस्था जहां पहुँच कर आप लौटना न चाहे। जहा प्रेम और आनंद के सिवा कुछ भी नहीं हैं। कहाँ और कैसे होता है ऐसे परम सुख का अनुभव?