THE AUDIO TOWN - Gratifying Ears

Asal Mein Extended Version (ख़्वाब अपने नहीं है मेरे) | Muskan Ebrahim Golandaj | The Audio Town-84


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तुम नही हो मेरे...
क्यों मिली है ऐसी तकदीरे,
जिसमे जीना आम नही है यहां,
चल रही हूं इस सफर में,
यूं तो चलना काम नही मेरा,
इतना भी क्या इस सफर में,
कोई चलता है,
ये सोचकर क्यों ये दिल बेहाल होता है,
असल में,
ख्वाब अपने नही है मेरे,
अपने नही है मेरे
अपने नही है मेरे...
मंजिले हमसे क्यों ये दूर हुई,
अपने हमसे रूठे क्यों,
तन्हा है चलना सफर में,
फिर आस किसी की है क्यों,
क्या जिंदगानी है,
कैसी ये आस है,
में ये समझूं ना,
होती है जिंदगी में,
ऐसी भी मजबूरियां,
मैने अब जाना,
ख्वाबों में बस सोचू मैं ये,
जिनमे हर ख्वाब पूरे है मेरे,
असल में,
ख्वाब अपने नही है मेरे,
अपने नही है मेरे
अपने नही है मेरे...
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THE AUDIO TOWN - Gratifying EarsBy Mradul Sachan