कल थी काशी, आज है बनारस

अस्सी घाट की अनोखी कहानी, जो है काशी का हरिद्वार


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राम राम मित्रों, आज की कड़ी में आप जानेंगे संगमेश्वर महादेव, जगन्नाथ मंदिर, अलकनंदा क्रूज़, घाट संध्या कार्य क्रम और तुलसी दास जी का यहाँ से क्या संबंध है. रामचरितमानस और मानस मंदिर का संबंध. असि घाट की सीमा और विस्तार. असि घाट पर बने अनेक मंदिरों के निर्माण की तथ्यात्मक कहानी. कुछ तत्कालीन घटना भी जो सुनकर और देखकर आप बस अचंभित और आश्चर्यजनक भाव में डुबकी लगाते हो. क्या कुछ हुआ है यहाँ इह घाट पर उन सब को सरसरी निगाह से देखने और सुनने के लिए आप को मेरे पॉडकास्ट सनातन शहर काशी के बनारस बनने की यात्रा पर जाना होगा. बनारसी पान का मज़ा चाहिए तो बनारसी सिंह को सुनिए. पान से जो रस आनंद आपको उसे खा कर चबा कर मिलता है वही इंद्रिय सुख आपको इस पॉडकास्ट की कहानी सुन कर मिलेगा. बस मन कोश्रखाली कर, यहाँ आयें और मन भर कर आनंद पाए. मैं जब आनंद कहती हूँ तो आप खुशी नहीं समझना. खुशी क्षणिक होती है. बुलाती है मगर जाने के नहीं. जाना है तो आनंद की तलाश में जाओ यह परम आनंद की प्रथम सीढ़ी है. दुनिया का कोई भी नशा इसके सामने फिका है. यह कहानी और शहर की यात्रा नहीं यह जीवन यात्रा है. जन्म और मृत्यु से परे यह आदि से अनंत की, दृश्य से अदृश्य की, मोह से प्रेम की, पाप से पवित्र होने की, महाश्मशान से देवनागरी होने की, नास्तिक से आस्तिक, द्वंद्व से एकात्म की पावन पवित्र और मंगलमय यात्रा. यह यात्रा है समय की, काल की, इतिहास की, त्याग की, समर्पण की, सत्य की, सुंदरता की, भक्त की, वैराग्य की, यह यात्रा है सदाशिव अदृश्य के दृष्टिगत होकर माता पिता बनने की, यह यात्रा है आत्माओं के परमात्मा से मिलन की, यह यात्रा है कुछ नहीं से सबकुछ की. यह यात्रा है अमर पूरी काशी की और उसके आधार बिंदु महादेव की. जो दिखते नहीं पर हैं जो बोलते नहीं पर सुनते हैं. जो शरीर नहीं अंतर मन हैं. जो पंचतत्व हैं. जो कणकण में हैं वही जो ब्रह्माण्ड से परे हैं. जो निराकार हैं और ओमकार हैं. जो शुन्य हैं, जो सबका आरंभ और अंत भी हैं वही सदा शिव हैं. हर हर महादेव. नमः पार्वती पतये हर हर महादेव.... जय श्रीराम.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh