लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी को "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई।
तिलक अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए भी जाने जाते थे।