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भाई दूज, जो दिवाली के पर्व का अंतिम दिन होता है, भाई-बहन के प्यार और अपनत्व का एक खास उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके सुख, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और मजबूती को दर्शाता है, ठीक वैसे ही जैसे रक्षाबंधन का त्योहार।
भाई दूज का अपना एक पौराणिक महत्व भी है, जिसमें यमराज और यमुना की कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना से मिलने आकर उनका तिलक किया था, जिससे यह दिन भाई-बहन के बीच प्रेम और रक्षा का प्रतीक बन गया। इस तरह, भाई दूज सिर्फ एक पारिवारिक त्योहार नहीं, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला पर्व भी है।
By Supriya Baijal3.7
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भाई दूज, जो दिवाली के पर्व का अंतिम दिन होता है, भाई-बहन के प्यार और अपनत्व का एक खास उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके सुख, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और मजबूती को दर्शाता है, ठीक वैसे ही जैसे रक्षाबंधन का त्योहार।
भाई दूज का अपना एक पौराणिक महत्व भी है, जिसमें यमराज और यमुना की कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना से मिलने आकर उनका तिलक किया था, जिससे यह दिन भाई-बहन के बीच प्रेम और रक्षा का प्रतीक बन गया। इस तरह, भाई दूज सिर्फ एक पारिवारिक त्योहार नहीं, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला पर्व भी है।

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