भगवान ने हमें बताया- "सही अर्थों में सचमुच ही सच्ची भावना ले कर मुझ तक आने की आकाँक्षा तुम्हारे मन में जाग गई तो सच्ची भावना का रूप, वह किसी भी रूप में हो, मुझसे दूर नहीं रहता; और उस रूप में जो मुझ तक आना चाहता है, स्वयं मैं ही उसका सहारा बनता, उसका हाथ पकड़ लेता हूँ।"