अभिनंदन मित्रों, आप सबको सावन के सोमवार की हार्दिक बधाई. आज की कहानी भक्त शिरोमणि नंदी जी की. जिनका जन्म ही शिव जी के सेवा के लिए हुआ. शिव की सवारी और सेवक के रुप में सब उनको जानते हैं. पर उनका जन्म एक कृषक के घर हुआ था. शिlaad नामक कृषक और साधक के घर में. शिलाद जी ने महादेव की आराधना कर शिव अंश रुप में पितृ इच्छा को पूरा करने के लिए बैल रुपी पुत्र की कामना की. महादेव की कृपा से उन्हें नंदी जी पुत्र रूप में प्राप्त हुए. शिलाद पुत्र रुप में शिवांश पाकर बहुत प्रसन्न थे. समय के साथ जब बालक बड़ा हुआ तो शिव की भक्ति में लीन रहने लगा. आठ वर्ष की आयु में माता पिता से आज्ञा लेकर हिमालय आ गये शिव जी की सेवा करने लगे. जब नंदी महाराज युवा हुए तब पिता महादेव के पास आये और नंदी के जन्म का उद्देश्य याद दिला कर नंदी जी को गृहस्थ जीवन से जोड़ने के लिए आग्रह कर अपने साथ ले गये. शिव जी ने समझा कर नंदी को घर भेजा दिया. अब नंदी जी घर जा कर उदास रहने लगे. भोजन त्याग दिया. केवल शिव नाम जपते. और हिमालय की ओर देखते रहते. एक मास के बाद पिता पुनः शिव जी के पास पहुंचे. प्रभु नंदी को वापस अपने शरण में ले लो. वो तो देह त्याग देगा अगर आप ने उसे स्वीकार नहीं किया. यहाँ महादेव भी अपने भक्त के बिना अधूरे थे. वो स्वयं नंदी को लेने उनके घर गये. नंदी जी शिव जी को देखकर अति प्रसन्न हुए पर कोध्रीत भी हुए. कि महादेव ने उनको पिता के साथ भेजा. अब महादेव ने नंदी जी को हिमालय चलने को कहा. और वर दिया. जो भी आपके कान में अपनी मनोकामना कहेगा वो मैं सुनकर उसे अवश्य पूर्ण करुंगा. तब से ही नंदी भक्त शिरोमणि बन गये. आगे की कहानी के लिए बनारसी सिंह के पॉडकास्ट सुने... हर हर महादेव..