कल थी काशी, आज है बनारस

भगवान राम की काशी की यात्रा? जानिए क्या था इसमे खास!


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हर हर महादेव साथियों, आप का बहुत बहुत स्वागत है काशी के बनारस बनने की यात्रा में... यह यात्रा इतिहास से भी पूरानी है. इस यात्रा में सतयुग, त्रेता युग, द्वापरयुग और कलयुग से जुड़ी अनगिनत कहानियाँ और घटनाएँ हैं जो हमारे जानने और विचार करने के लिए जरुरी हैं. इस पंचकोसी यात्रा की पहली कहानी जो मुझे मिली वो श्री राम और सीता जी की है. रावण वध के बाद राम जी अयोध्या आये तब अपने पिता को श्रवण कुमार के माता- पिता द्वारा दिए गये श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए चारों भाई और सीता जी काशी की पंचकोसी यात्रा पर आये थे. यहाँ रामेश्वर मंदिर में उनके द्वारा स्थापित शिव लिंग भी है. दुसरी कहानी द्वापर युग की है, महाभारत काल में जब पांडव अज्ञात वास में थे तब उन्होंने भी काशी की पंचकोसी यात्रा की. काशी विश्वनाथ से विजय की कामना की. शिव पुर के पांडव मंदिर में द्रौपदी जलकुंड है. जो प्रमाणित करता है कि पांडव इस स्थान पर आए थे. इन कहानियों को सुनकर आपके मन में भी इस यात्रा की इच्छा हो रही तो बैग पैक करें और अपना भोजन साथ लाएं. ठहरने और रात गुजारने के लिए हर पड़ाव के बाद आपको सस्ती धर्म शाला मिलेगी. आज कल विलेज टुरिजम फैशन में भी है. प्रकृति का सान्निध्य हो, गंगा के घाट हो, महादेव का आशीर्वाद हो तो यह यात्रा आपके जीवन में आनंद भर देगी. पंचकोसी यात्रा से आप अपनी कोई भी इच्छा पूर्ण कर सकते हैं. किसी अपने के पाप काटने, विजय कामना और मोक्ष प्राप्ति के लिए और धार्मिक विश्वास को अटूट करने के लिए, अपने धर्म के इतिहास को स्वयं जानने के लिए, जीवन मूल्य को समझने के लिए काशी की पंचकोसी यात्रा सबसे अहम लक्ष्य है. आगे और भी कहानियाँ आपके इंतजार में हैं आप भी तैयार रहे इन अदभुत और आश्चर्य से भरी काशी के जीवन की यात्रा के लिए. पढ़ते रहिये और सुनते रहिये. यही हमारी धरोहर है. इसे बांटना और सबके जीवन का हिस्सा बनाना ही मेरा धर्म है. फिर मिलेंगे जल्द ही. कहने और लिखने में कोई भी हुई हो तो इस मित्र को क्षमा करिये गा.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh