कल थी काशी, आज है बनारस

भोले नंदी गये भूल, शब्दों में हुआ फेर प्रायश्चित करने आना पड़ा धरती पर


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नमस्कार दोस्तों सभी का स्वागत है. इस बार कहानी बहुत ही स्थानीय है. यह बहुत प्रचलित है काशी में. कहानी है संदेश और विस्मृत होने की. शिव जी धरती पर मानव के लिए एक संदेश भेजते हैं वो संदेश नंदी जी मानव समाज को देते हैं पर संदेश में कुछ गड़बड़ी हो जाती है और नंदी जी को प्रायश्चित करने धरती पर आना होता है बहुत लंबे समय के लिए. यह कहानी हास्य और परिहास पर आधारित है पर इससे सीख बहुत बड़ी मिलती है. जो समझ सके उन सबको. क्या है मुझे किसी के भी समझ पर संदेह नहीं. बस समस्या यह है कि कोई कुछ भी कहे हम सब ऐसे प्रशिक्षित हैं कि वही समझेंगे जो हमें समझना है. जो समझाया जा रहा वो नहीं समझेंगे. क्योंकि मंथन नहीं करते. एक्शन और रिएक्शन मोड में जीवन को जी रहे हम. बस बाकी आप सब स्वयं समझे कि यह कहानी क्या समझा रही. हर हर महादेव.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh