Yatra

बढ़ई और चिड़िया (Badhai aur chidiya)


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केदारनाथ सिंह शायद हिन्दी के समकालीन काव्य परिदृश्य में अकेले ऐसे कवि हैं, जो एक ही साथ गाँव के भी कवि हैं और शहर के भी। उनकी यह कविता शायद ऊँघते काटे जा रहे जंगलों की कराह होगी जो मुझे पढ़ने मिली।
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YatraBy Ankit Pandey