नही लिखेँगे तुमको,
अब बिल्कुल नही लिखेंगे,
नफरत करेंगे तुमसे,
अबतो जी भर-भर कर नफरत करेंगे!
तुम्हारे नखरों को,
अदाओं को,
तुम्हारी हर एक नज़र को,
नज़रअंदाज़ करेंगे,
बिल्कुल भी न देखेंगे तुमको,
एक झलक भर भी नही,
हुह!
न जाने क्या समझते हो खुद को,
पर हम तो कुछ नही समझते,
मिलेंगे तुम जैसे बहुत,
सच मे बहुत,
हर मोड़ पर,
हर जगह,
तुम कोई खास कहाँ,
हमारे लिए,
ऐसे हसीन चेहरे,
ऐसी आँखे,
ऐसी अदाएं,
बहुत देखी है हमने,
हर जगह,
तो तुम क्या कोई अलग हो,
लगता तोह नही,
न जाने कब से सोच रहे हैं
ये सब,
पर क्यों सोच रहे हैं,
पता नही,
शायद इसलिए कि,
कुछ देर को तुमको भुला सके,
पर सच कहें,
नही भुला पा रहे!