इस प्यारी सी कविता में महाकवि दिनकर ने चाँद को एक मानव के रूप में चित्रित है। इसमें चाँद अपने माता से अपने लिए ऊन की ड्रेस लेने की जिद कर रहा है। वह बताता है कि आसमान के सफर में हर समय उसे ठंड लगती है, वह ठिठुरता रहता है तो उसको तो झिंगोला चाहिए ही। उसके बाद उसकी माता का उत्तर और फिर चाँद की बाते।। सब बहोत ही मज़ेदार है।