Checkपर्वत प्रदेश में पावस कविता के रचयिता सुमित्रा नंदन पंत जी हैं। 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी-अलमोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत ने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। सुमित्रानंदन पंत की अधिकांश कविताएँ पढ़ते हुए यही
अनुभूति होती है कि मानो हमारे आसपास की सभी दीवारें कहीं विलीन हो गई हों। हम किसी ऐसे रम्य स्थल पर आ पहुँचे हंै जहाँ पहाड़ों की अपार शृंखला हैं, आसपास झरने बह रहे हैं, सब कुछ भूलकर हम उसी में लीन रहना चाहते हैं।,पर्वत प्रदेश में पावस कविता में पर्वतीय इलाकों में वर्षा़ऋतु का मनमोहक वर्णन है। मेखलाकार पर्वत अपीनी हज़ारों पुष्प रूपीआँखों से अपने चरणों मै फैले विशाल सरोवर में अपना प्रतिबिंब देख रहा है। झरने गिरि का गौरव-गान कर रहे हंै। तरुवर नीरव नभ कीओर अनिमेष झाँक रहे हैं और शाल के वृक्ष डरकर धरा में धँस गए हैं। मूसलाधार वर्षा कारण ऐसा दृश्य प्रस्तुत हो गया है
जिसमें धरती और आकाश दोनों मिलकर एक हो गए हैं।