5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले केकीर्तिनगर में जन्मे वीरेन डंगवाल ने आरंभिक शिक्षा नैनीताल में और उच्च शिक्षा इलाहाबाद में पाई। प्रस्तुत कविता हमें याद दिलाती है कि कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी।
भारत ने उसका स्वागत ही किया था, लेकिन करते-कराते वह हमारी शासक बन बैठी।
उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। उन तोपों ने इस देश को फिर से आज़्ााद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाज़्ाों को मौत के घाट उतारा। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड़ फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। फिर भी हमें इन प्रतीकों के बहाने यह याद रखना होगा कि भविष्य में कोई और ऐसी कंपनी यहाँ पाँव न जमाने पाए जिसके इरादे नेक न हों और यहाँ फिर वही तांडव मचे जिसके घाव अभी तक हमारे दिलों में हरे हैं।