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कांटे जिनके मैंने सहे हैं
वे फूल हैं किसी औरों के लिए
अमृत जिन्हें पिलाया था मैंने
मुझे ज़हर उन्हीं हाथों ने दिया ।
देवपुरुष भक्तिदेव जी की पंक्तियों को जब भी मैं दोहराता हूँ मुझे हर वो शक्स नज़र आता है जो दूसरों की ख़ुशियों के लिए ख़ुद मिट गया ।
वो शक्स जिसे ज़माने ने इस्तेमाल करके फ़ेक दिया ।
By Seheyogeeकांटे जिनके मैंने सहे हैं
वे फूल हैं किसी औरों के लिए
अमृत जिन्हें पिलाया था मैंने
मुझे ज़हर उन्हीं हाथों ने दिया ।
देवपुरुष भक्तिदेव जी की पंक्तियों को जब भी मैं दोहराता हूँ मुझे हर वो शक्स नज़र आता है जो दूसरों की ख़ुशियों के लिए ख़ुद मिट गया ।
वो शक्स जिसे ज़माने ने इस्तेमाल करके फ़ेक दिया ।