Vandana

दौलत शोहरत और पद की कीमत।


Listen Later

*पद की कीमत*
प्राचीन चीन राज्य में एक दर्शनिक थे। नाम था... *'चुआंग जू'*। वे बहुत विद्वान और सूझबूझ वाले माने जाते थे। एक बार चीनी प्रधानमंत्री का पद रिक्त हो गया तो सभासदों और अन्य मंत्रीगणों के सुझाव पर राजा ने *'चुआंग जू'* को प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय किया।
तय किया गया कि सरकारी सिपाही जाकर भावी मंत्री को उनके गाँव से आदर समेत ले आएँगे फिर उन्हें पदभार सौंपा जाएगा।
राजा के सिपाही पहुँचे *'चुआंग जू'* के गाँव में लोगों से पता चला कि वे इस वक्त नदी किनारे बँसी से मछली पकड रहे हैं।
सिपाही वहीं पहुँचे, देखा वे सिपाहियों की ओर पीठ किये बैठे हैं। सिपाहियों ने उन्हें पुकारा तो उन्होंने उसी तरह बैठे-बैठे सिपाहियों से वहाँ आने का कारण पूछा। सिपाहियों ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री के पद के लिए चुना गया है सो वे उनके साथ चलें और अपना पद भार ग्रहण करें।
'चुआंग जू' उसी तरह बैठे-बैठे बोले- *“एक बात बताओ?”*
सिपाही- *“जी, पूछिये।“*
'चुआंग जू'- *“मैने सुना है, राजा के महल में एक राजमंदिर है। जिसमें सोने की वेदी पर एक कछुवा रखा है... वह तीन सौ साल पहले मर गया था। कहते हैं तब से ही उसके शव को पवित्र मान कर उसे सोने की वेदी पर सजा कर उसकी पूजा होती आ रही है। क्या तुम बता सकते हो वह कछुवा क्या पसंद करता? मर कर सोने की वेदी पर पूजा जाना या जीवित रह कर कीचड में दुम हिलाना?”*
सिपाही तपाक से बोला- *“बेशक, जीवित रह कर कीचड में दुम हिलाना।"*
ये सुनते ही 'चुआंग जू' महोदय दहाडे- *“तो दफा हो जाओ यहाँ से... मुझे भी जीवित रह कर कीचड में दुम हिलाना पसंद है।"*
मित्रों! इस कहानी का सार यह है कि *पद कितना भी उँचा हो, दौलत-शोहरत कितनी भी ज्यादा हो वास्तव में ये सब व्यक्ति के सहज-सरल व्यक्तित्व और जीवन की समानता नहीं कर सकते। सो इन्हें इतनी ही तवज्जो दीजिए जितने से ये आपके स्वाभाविक जीवन को नष्ट ही न कर दें। अगर आपको लगता है कि ये आपके लिए ना होकर आप इनके लिए हो कर रह गए हैं तो इन्हें ‘ना’ कहने की हिम्मत भी रखें। कहने का अर्थ ये कि दौलत-शोहरत-पद इतने कीमती नहीं है कि इन्हें पाने के लिए जीवन को ही दांव पर लगा दिया जाए*
.
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

VandanaBy Vandana Anand

  • 5
  • 5
  • 5
  • 5
  • 5

5

1 ratings