समस्त शास्त्रोंका और वेद वेदाङ्गोंका अध्ययन करके भी विना वैराग्यके निर्गुण तत्वको नहीं जाना जा सकता। ब्रह्माजी द्वारा परमात्माके स्थूल और सूक्ष्म स्वरूपका वर्णन। सात्विक राजस और तामस अहंकारका वर्णन। पंच तन्मात्राओं। ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों का वर्णन।