दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

देवीभागवत माहात्म्य २. स्यमन्तक मणि प्रकरण


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श्रीकृष्ण के जन्मसे पूर्व वसुदेवजीने संतानरक्षा हेतु यदुवंशके गुरु गर्ग से उपाय पूछा तो गर्गजी ने देवीकी आराधना करनेको कहा। वसुदेव तो कारागारमें थे। अतः उनके निवेदन पर गर्ग जी ने ही उनकी ओर से विन्ध्याचल में जाकर देवी की आराधना किया। देवी ने प्रसन्न होकर कहाकि देवकी का अगला गर्भ मेरी प्रेरणासे विष्णुका अवतार होगा और मेरी अंशरूपा कन्या यशोदा के गर्भसे अवतरित होगी ...। श्रीकृष्णके बडे़ होकर द्वारका में शासन करते समय उन पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा। मणिकी खोज करते हुये श्रीकृष्ण वन में गये और जाम्बवान से २७ दिन तक युद्ध किये। इधर १२ दिन तक वापस न आने पर वसुदेव और द्वारकावासी शोकाकुल हो गये तो नारदजी ने वसुदेव को देवीभागवत सुनाया। देवीभागवत की पूर्णाहुति होकर ब्राह्मणभोजन हुआ। ब्राह्मण लोग आशिर्वचन कर ही रहे थे, तब तक श्रीकृष्ण स्यमन्तक मणि और जाम्बवती के साथ सकुशल वापस आ गये।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati