युधिष्ठिर अर्जुन इत्यादि पाण्डव देवताओं के अंशावतार थे। श्रीकृष्ण विष्णुके अवतार थे। भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं पाण्डवोंके सहायक थे। फिर भी पाण्डवों को वनवास का दुःख मिला और श्रीकृष्ण के माता पिता को कारागारका दुःख मिला, यदुवंशका नाश हुआ, श्रीकृष्ण के वैकुण्ठगमन के उपरान्त उनकी रानियों को लुटेरे लूट ले गये। इस सबसे यह सिद्ध होता है कर्मकी गतिको भगवान् भी नहीं बदल सकते। कर्मगति का नाश केवल ज्ञानसे ही होता है। अन्य कोई उपाय नहीं।