शक्ति और शक्तिमान् परस्पर अभिन्न हैं। भगवती और भगवान् का एक ही अर्थ है। "भग" की परिभाषा दोनों के लिये एक ही है - "ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः । ज्ञानवैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरिणा।। समग्र ऐश्वर्य,समग्र धर्म,समग्र यश,समग्र श्री,समग्र ज्ञान और समग्र वैराग्य को भग कहते हैं। यह भग जिसमें सर्वदा रहे वह भगवती अथवा भगवान्।