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‘‘धोबिया जल बिच मरत पियासा’’- यहाँ संत कबीर ने साधक को धोबी की संज्ञा दी, जो अपने जन्म-जन्मांतरों के दागों की धुलाई स्वयं करने में समर्थ है। ब्रह्म उसी के हृदय में है। भक्तिरूपी जल भी उसके हृदय में है। जल के बीच में भी वह प्यासा है। उसकी विधि संतों के पास है। विषयोन्मुख मन को वे प्रभु की ओर उन्मुख कर देते हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
By Yatharth Geeta5
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‘‘धोबिया जल बिच मरत पियासा’’- यहाँ संत कबीर ने साधक को धोबी की संज्ञा दी, जो अपने जन्म-जन्मांतरों के दागों की धुलाई स्वयं करने में समर्थ है। ब्रह्म उसी के हृदय में है। भक्तिरूपी जल भी उसके हृदय में है। जल के बीच में भी वह प्यासा है। उसकी विधि संतों के पास है। विषयोन्मुख मन को वे प्रभु की ओर उन्मुख कर देते हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru

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