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क्वात्मनो दर्शनं तस्य यद्दृष्टमवलंबते।
क्वात्मनो दर्शनं तस्य यद्दृष्टमवलंबते।
‘उसको आत्मा का दर्शन कहां है, जो दृश्य का अवलंबन करता है? धीरपुरुष दृश्य को नहीं देखते हैं और अविनाशी आत्मा को देखते हैं।’
By Oshō - ओशोक्वात्मनो दर्शनं तस्य यद्दृष्टमवलंबते।
क्वात्मनो दर्शनं तस्य यद्दृष्टमवलंबते।
‘उसको आत्मा का दर्शन कहां है, जो दृश्य का अवलंबन करता है? धीरपुरुष दृश्य को नहीं देखते हैं और अविनाशी आत्मा को देखते हैं।’