Mukesh Kumar Soni

दुविधा


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मेरा कमरा छोटा है,
पर दो-दो है इसके दरवाजे
एक खुला है दूजा है बंद
पर बंद दरवाजा ही है मेरी पसंद 
मैं बार-बार इससे होकर गुजरना चाहता हूं 
और इसके लिए अपना पूरा जोर लगाता हूं 
पर कमबख्त खुलता ही नहीं 
और जो खुला है 
वह मुझे देख हंसता है और कहता है 
देखते क्यों नहीं मुझे अपनी आंखों से?
छूते क्यों नहीं मुझे अपनी हाथों से?
आखिर क्यों मुझसे होकर नहीं जाते?
बात क्या है जो मुझसे छुपाते?
अब हे प्रभु मुझे बताओ 
मैं किस दरवाजे से होकर बाहर जाऊं 
और अपने जीवन को सफल बनाऊं।
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