दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 117. योग-वेदान्त। माण्डूक्य मंत्र 3. आत्माका प्रथम चरण वैश्वानर- इसके 7 अंग और 19 मुख हैं।


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सोता कौन है? जागता कौन है? स्वप्न कौन देखता है? इन्द्रियां सो जाती हैं किन्तु मन जागता रहता है और अपनी सृष्टि बनाकर सुख दुःख भोगता है।
स्थूल शरीर पञ्चीकृत पांच महाभूतों से बना है। जो 19 मुख बताया (5 ज्ञानेन्द्रियां 5 कर्मेन्द्रियां 5 प्राण और 4 अन्तःकरण ) अपञ्चीकृत महाभूतों से बने हैं। अर्थात् इन्द्रियां अपञ्चीकृत पञ्चमहाभूतों से बनी हैं और इनके गोलक अर्थात् रहनेके स्थान पञ्चीकृत पञ्चमहाभूतों से बनी हैं। मनमें पांचों महाभूत हैं और इन्द्रियों में एक-एक। जीव
जाग्रत में स्थूल शरीर, स्वप्नमें सूक्ष्म शरीर और सुषुप्तिमें कारण शरीर से व्यवहार करता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati