दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 161. शिवपुराण। शङ्करजी के पांच मुखोंके पांच कार्य- सृष्टि स्थिति संहार तिरोभाव और अनुग्रह।


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इस एपिसोड में-
*पंचभूतों से शिवजीके पांच कार्योंकी संगति। सृष्टि -पृथिवी, स्थिति-जल, संहार- अग्नि, तिरोभाव-वायु में और अनुग्रह आकाश में। इनमेंसे दो कार्य - सृष्टि और स्थिति ब्रह्मा विष्णु को दिया है। संहार का कार्य रुद्रको और तिरोभावका कार्य महेश्वर को दिया। अनुग्रह का कार्य केवल शिव के पास है।
*प्रणव का विवेचन।
*शिवजी द्वारा ब्रह्मा विष्णु को मन्त्रदीक्षा।
*विभिन्न नक्षत्रोंमें शिवपूजनका महत्व।
*शिवमंदिरमें दर्शन-पूजन प्रातःकाल ही करना चाहिये।
*शिवलिंग का पूजन प्रणवसे और शिवजी की मूर्तिका पूजन पंचाक्षर मन्त्रसे करना चाहिये।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati