दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 178 शिवपुराण/पातञ्जल योगसूत्र - प्रणवके विभिन्न अर्थ।


Listen Later

इस एपिसोड में -
1. प्र+नव/नमन।
2.प्र+नौ(नाव)=प्रकृति रूपी संसारसागर से पार ले जाने वाली नौका।
3.प्रणव का नाम लेना गृहस्थोंके लिये निषिद्ध है। इसीलिये प्रणवका जप भी गृहस्थोंके लिये निषिद्ध है।
4. प्र=प्रपंच, न=नहीं, वः=तुम लोगों के लिये। युस्मद् शब्द के अनुसार।
5. प्रकर्षेण नयति वः मोक्षे। मोक्ष तक ले जाने का सर्वोत्तम साधन।
6. प्रकृष्ट नूतन ज्ञान देता है, अतः प्रणव है।
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati