दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 194. शिव/महा/गीता। जीव का क्रमिक उद्धार।वर्णधर्म। स्वकर्मणा तमभ्यर्चन् सिद्धिं विन्दति मानवः।


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*स्वकर्मणा तमभ्यर्चन् सिद्धिं विन्दति मानवः।अपने धर्मके पालन से ही स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
*कीट का उत्तरोत्तर श्रेष्ठतर योनियों में जन्म लेते हुये पक्षी पशु शूद्र वैश्य क्षत्रिय और अन्तमें ब्राह्मण होकर मुक्त होने की कथा (भाग -2).
*स्वकर्म का पालन ही भगवान् की सबसे बडी़ पूजा है। इसी से स्वर्ग वैकुण्ठ अथवा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati