दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 98. पातञ्जल योग, सूत्र 1.5. चित्तवृत्तियों के पाँच प्रकार


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चित्त की वृत्तियां पाँच प्रकार की होती हैं। यह पांचों क्लिष्ट और अक्लिष्ट दो-दो प्रकार की हैं- वॄत्तयः पञ्चतय्यः क्लिष्टाऽक्लिष्टाः। क्लिष्ट अक्लिष्ट का स्थूल अर्थ अशुभ और शुभ अथवा दुर्वृत्ति और सद्वृत्ति समझ सकते हैं। योग सिद्धिके लिये इन दोनोंको छोड़ना होना होगा। पहले अशुभ को छोड़ना होता है तत्पश्चात् शुभ को भी। वेदान्त की भाषा में कहें तो पाप-पुण्य/ धर्म-अधर्म/सत्य- असत्य दोनों को छोड़ना होता है - त्यज धर्ममधर्मं च उभे सत्यानृते त्यज । उभे सत्यानृते त्यक्त्वा येन त्यजसि तत्त्यज ॥
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati