दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 99. पातञजल योग, सूत्र 5 और 6 - विशेष टिप्पणी- बुद्धि क्या है ?


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पातञ्जल योग में चित्त, मन और बुद्धि एक ही अर्थमें प्रयुक्त हैं। वेदान्तमें यह भिन्न भिन्न हैं। मन और बुद्धि के कार्य।
बुद्धि का स्थान - महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 285 के अनुसार बुद्धि सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त है। बुद्धि की सत्व रजस तमस आदि वृत्तियों की पहचान।
बुद्धि और क्षेत्रज्ञ अर्थात् आत्मा में अन्तर। इन्द्रियां बुद्धिके माध्यम से स्वयं को प्रकाशित करती हैं। बुद्धि ही मन सहित सभी इन्द्रियों का संचालन करती है। बुद्धि जिस इन्द्रिय के कार्य का संचालन करती है वही बन जाती है। देखते समय वह आंख , सुनते समय कान, सूंघते समय घ्राणेन्द्रिय, स्वाद लेते समय रसनेन्द्रिय , स्पर्शका अनुभव करते समय त्वक् इन्द्रिय बन जाती है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati