दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E110. योग-वेदान्त। माण्डूक्य उपनिषद। जाग्रत अवस्था क्या है? हमारी विश्वरूपता क्या है?


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वैश्वानरआत्माका प्रथम चरण है - जाग्रत अवस्था। वैश्वानर से तात्पर्य। वास्तविक जागरण । वैश्वानरके ७ अङ्ग और १९ मुख । माण्डूक्य में मन बुद्धि चित्त अहंकार की अलग अलग गणना । बहिष्प्रज्ञ से तात्पर्य। एकही आत्मा कब जीव है और कब ब्रह्म है?
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati