वैश्वानरआत्माका प्रथम चरण है - जाग्रत अवस्था। वैश्वानर से तात्पर्य। वास्तविक जागरण । वैश्वानरके ७ अङ्ग और १९ मुख । माण्डूक्य में मन बुद्धि चित्त अहंकार की अलग अलग गणना । बहिष्प्रज्ञ से तात्पर्य। एकही आत्मा कब जीव है और कब ब्रह्म है?
वैश्वानरआत्माका प्रथम चरण है - जाग्रत अवस्था। वैश्वानर से तात्पर्य। वास्तविक जागरण । वैश्वानरके ७ अङ्ग और १९ मुख । माण्डूक्य में मन बुद्धि चित्त अहंकार की अलग अलग गणना । बहिष्प्रज्ञ से तात्पर्य। एकही आत्मा कब जीव है और कब ब्रह्म है?