दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E118. योग-वेदान्त-स्वप्नऔर सुषुप्तिकी परिभाषा। जाग्रतऔर सुषुप्तिसे स्वप्नका अन्तर। इन्द्रियका अर्थ।


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स्वप्न आत्माका दूसरा चरण है। इसमें भी जाग्रत के समान सात अंग उन्नीस मुख होते हैं। इसका नाम तैजस है।
*इन्द्रियका अर्थ है - इन्द्रकी वस्तु अथवा उपकरण। वह इन्द्र है द्रष्टा। वह द्रष्टा है आत्मा।
*ज्ञानी अज्ञानी की दृष्टि में अन्तर।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati