स्वप्न जाग्रत सहित यह सारा संसार मनका स्पन्दन मात्र है।
स्वप्न में भी अपनेको जाग्रत की भांति दिखाता है। स्वप्नमें मन अधिक बलवान् होता है? जाग्रत के ही संस्कार स्वप्नमें देखता है। स्वप्नमें अनेक विसंगत चीजें आपस में मिलकर गड्ड मड्ड हो जाती हैं। स्वप्नभी एक जगत है जो वहांके लिये सत्य होता है। स्वप्नके सम्बन्धमें पूर्वमीमांसा,अद्वैत, भक्तिमार्ग और आयुर्वेद इत्यादि मतों के विष्लेषणके लिये पूरा एपिसोड ध्यानसे सुनें।