कल थी काशी, आज है बनारस

एक श्राप, जो आज है इनके लिए वरदान


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जन्म और मृत्यु सत्य है. है ना. इसके मध्य जो समय मिलता है वही जीवन है. पर काशी एक अद्भुत नगरी है. शिव जी की. जहाँ मृत्यु और मोक्ष एक ही सिक्के के दो पहलू है. काशी में कुल चौरासी घाट हैं. जीव को कितने रुप में जन्म मिलता है. चौरासी लाख. कुछ संबंध है काशी के मणिकर्णिका पर शव के दाह और अंतिम यात्रा का. नहीं. अभी जो कहानी आप सुन रहे वो कल्लू डोम राजा की है. जिनको पार्वती जी का मणिकर्ण मिला था पर महादेव के पूछने पर उन्होंने सत्य नहीं स्वीकार किया. फिर भोले बाबा को क्रोध आया डोम राजा को श्राप मिला. आगे कि कहानी आप सुनो पॉडकास्ट से. मुझे सुनने और पड़ने के लिए धन्यवाद. यह सनातन शहर काशी के बनारस बनने की यात्रा है. जिसमें आप सुन रहे हजार कहानियाँ जो बनारसी सिंह सुना रही. आज तक आप ने जितनी भी कहानी सुनी वो वाचक कोई भी होगा पर मैं नहीं थी. मज़ाक था. पर आप सबको इन कहानियों को केवल सुनना नहीं है शेयर भी करना है. बांटने से ज्ञान बढ़ता है कहावत तो सुनी होगी ना. फिर शेयर करें और बनारसी सिंह के पॉडकास्ट को सब्सक्राइब भी करें. कैसी लग रही कहानी अपना विचार भी अवश्य दें. हर हर महादेव.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh