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तन्वी को चुप करते हुए रागिनी रहती है कि चुप हो जा मत रो इतना तेरे साथ मैं भी तो बाहर जा रही हूं मैं तेरा पूरा ख्याल रखूंगी, रागिनी की बातें सुनने के बाद तन्वी कहती है कि मैं काशी से दूर नहीं जाना चाहती काशी में मेरा बचपन बीता है मेरी यादें हैं प्लीज समझो ना चाचा को कि मैं काशी से दूर नहीं जाना चाहती हुं,रागिनी तन्वी को चुप नहीं कर पाती है, उसके बाद रागिनी अपनी दादी रेनू के पास जाती है और उनसे कहती है कि वह तन्वी और सीमा में से किसी भी को समझा दे क्योंकि दोनों को समझ पाना मेरे बस में नहीं है रागिनी की बातें सुनने के बाद रेनू हां मैं हर हिलाते हुए कहती हैं कि, अच्छा ठीक है मैं सीमा से बात करूंगी देखती हूं उसका फैसला बदल पाती हूं या नहीं |
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By Audio Pitara by Channel176 Productionsतन्वी को चुप करते हुए रागिनी रहती है कि चुप हो जा मत रो इतना तेरे साथ मैं भी तो बाहर जा रही हूं मैं तेरा पूरा ख्याल रखूंगी, रागिनी की बातें सुनने के बाद तन्वी कहती है कि मैं काशी से दूर नहीं जाना चाहती काशी में मेरा बचपन बीता है मेरी यादें हैं प्लीज समझो ना चाचा को कि मैं काशी से दूर नहीं जाना चाहती हुं,रागिनी तन्वी को चुप नहीं कर पाती है, उसके बाद रागिनी अपनी दादी रेनू के पास जाती है और उनसे कहती है कि वह तन्वी और सीमा में से किसी भी को समझा दे क्योंकि दोनों को समझ पाना मेरे बस में नहीं है रागिनी की बातें सुनने के बाद रेनू हां मैं हर हिलाते हुए कहती हैं कि, अच्छा ठीक है मैं सीमा से बात करूंगी देखती हूं उसका फैसला बदल पाती हूं या नहीं |
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