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मंदिर में तन्वी को शांत बैठा देख पुजारी बाबा तन्वी के पास आते हुए पूछते हैं कि क्या हुआ है जो तुम इस तरह शांत बैठी हो तन्वी उन्हें जवाब देते हुए कहती है कि मैं सोच रही हूं कि आश्रम के बच्चों का क्या होगा ,इस पर पुजारी बाबा कहते हैं की परेशान होने वाली क्या बात है तुम हो ना और आश्रम के सभी बच्चे तुमको मानते भी हैं पुजारी बाबा की बात सुनने के बाद तन्वी धीमें स्वर में कहती है कि यही तो दिक्कत है कि अब मैं नहीं रहूंगी।
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