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अगले दिन सुबह मीरा मिशा से पहले उठ गई थी पर आज वह ना तो अपने कमरे में थी और नहीं उसे कमरे में अकेले थी इसलिए वह निशा को बिना डिस्टर्ब किया बाहर बैठ गई और कुछ फूलों को देखने लगी तभी जीत के डाइट जो ऑफिस जा रहे थे उन्होंने नीचे से मीरा को बालकनी में बैठे हुए देखा और जीत की मां को अंदर जाकर मीरा के पास जाने के लिए कह दिया और वह उसके पास चली गई मीरा और मिशा को बाहर आने का बोलकर वह नीचे आ गई जब मीरा मिशा के साथ नीचे आई तो वह जीत के साथ बैठकर न्यूज़ पर जयपुर में हुई घटना के बारे में सुन रही थी पुलिस उसे केस को लेकर काफी परेशान थे पर मीरा और जीत को तो उसे दिन दिल्ली के लिए भी निकलना था इसलिए नाश्ता करने के बाद जीत ने मीरा को दोपहर तक तैयार होने के लिए कह कर अपने ऑफिस के लिए चला गया और मेरा अपने सामान को पैक करने रूम में चली गई हमेशा के काफी जिद करने पर भी मीरा वहां और रुकने के लिए तैयार नहीं हुई और अपना सामान रखने के बाद वह नीचे आई तभी वहां दादू के एक दोस्त जो की आर्मी से रिटायर थे मीरा से मिले और उन्हें न जाने क्यों पर ऐसा लग रहा था जैसे वह मीरा को पहले से जानते हैं पर उनके यह बात बोलने पर मीरा काफी अजीब तरीके से व्यवहार कर रही थी यह बात तो मिशा को भी समझ नहीं आई कि आखिर मीरा ऐसा कर क्यों रही है उसने मिशा को यह कहा कि वह बार-बार पूछ रहे हैं और परेशान हो रहे हैं शायद इसलिए उसने उन्हें मना कर दिया क्या होगा दिल्ली में क्या जीत इस मर्डर के बारे में और सारी बाते जान पाएगा और क्या दादू के दोस्त को यह याद आएगी कि वह मीरा को कब और कहां मिले थे क्या जीत और उसके दादाजी के दोस्त दोनों का मीरा के बारे में सोचना सही था क्या वो जैसी दिख रही थी वैसे थी नहीं
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 By Audio Pitara by Channel176 Productions
By Audio Pitara by Channel176 Productionsअगले दिन सुबह मीरा मिशा से पहले उठ गई थी पर आज वह ना तो अपने कमरे में थी और नहीं उसे कमरे में अकेले थी इसलिए वह निशा को बिना डिस्टर्ब किया बाहर बैठ गई और कुछ फूलों को देखने लगी तभी जीत के डाइट जो ऑफिस जा रहे थे उन्होंने नीचे से मीरा को बालकनी में बैठे हुए देखा और जीत की मां को अंदर जाकर मीरा के पास जाने के लिए कह दिया और वह उसके पास चली गई मीरा और मिशा को बाहर आने का बोलकर वह नीचे आ गई जब मीरा मिशा के साथ नीचे आई तो वह जीत के साथ बैठकर न्यूज़ पर जयपुर में हुई घटना के बारे में सुन रही थी पुलिस उसे केस को लेकर काफी परेशान थे पर मीरा और जीत को तो उसे दिन दिल्ली के लिए भी निकलना था इसलिए नाश्ता करने के बाद जीत ने मीरा को दोपहर तक तैयार होने के लिए कह कर अपने ऑफिस के लिए चला गया और मेरा अपने सामान को पैक करने रूम में चली गई हमेशा के काफी जिद करने पर भी मीरा वहां और रुकने के लिए तैयार नहीं हुई और अपना सामान रखने के बाद वह नीचे आई तभी वहां दादू के एक दोस्त जो की आर्मी से रिटायर थे मीरा से मिले और उन्हें न जाने क्यों पर ऐसा लग रहा था जैसे वह मीरा को पहले से जानते हैं पर उनके यह बात बोलने पर मीरा काफी अजीब तरीके से व्यवहार कर रही थी यह बात तो मिशा को भी समझ नहीं आई कि आखिर मीरा ऐसा कर क्यों रही है उसने मिशा को यह कहा कि वह बार-बार पूछ रहे हैं और परेशान हो रहे हैं शायद इसलिए उसने उन्हें मना कर दिया क्या होगा दिल्ली में क्या जीत इस मर्डर के बारे में और सारी बाते जान पाएगा और क्या दादू के दोस्त को यह याद आएगी कि वह मीरा को कब और कहां मिले थे क्या जीत और उसके दादाजी के दोस्त दोनों का मीरा के बारे में सोचना सही था क्या वो जैसी दिख रही थी वैसे थी नहीं
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