दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 128. योग-वेदान्त- स्वप्न - आत्मा का दूसरा चरण। माण्डूक्य मंत्र 4. की व्याख्या।


Listen Later

मैं अरु मोर तोर तैं माया। यह सामान्य मनुष्यका व्यवहार है। इसमें समस्त स्थूल विषय सम्मिलित हैं। स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाते हुये स्वप्नको सूक्ष्म बताते हैं।
*देहमें मन है अथवा मनमें देह है? मनमें आकाश है अथवा आकाशमें मन है? *जब स्वप्नको ठीकसे समझ लेंगे तो जाग्रत भी ठीकसे समझमें आ जायेगा। स्वप्नको समझ लेने पर समझमें आ जायेगा कि जाग्रत भी स्वप्न है। सत हरि भजन जगत सब सपना।
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati