माण्डूक्य के अनुसार "यत्र" स्थान और दशा या अवस्था दोनोंका बोधक है। योगसूत्र के अनुसार अवस्था का बोधक है।
*सुषुप्ति का स्थान हृदय, स्वप्नका कण्ठ जाग्रतका नेत्र।
*Time Space and Mater
*प्रत्येक इन्द्रिय से केवल एक एक विषयका ज्ञान होता है, मनसे सभी विषयों का। कोई भी इन्द्रिय किसी दूसरी इन्द्रिय के विषय का ज्ञान नहीं कराती। मन सभी इन्द्रियोंमें संयुक्त है।