दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 537. आयुर्वेद में सदाचार, भाग 15. चरक, विमान, 3/40-54


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इस एपिसोड में :- *आयु नियत है अथवा अनियत? प्रारब्ध और पुरुषार्थ की समन्वयकारी व्याख्या। यदि प्रारब्ध दुर्बल हो और पुरुषार्थ बलवान् हो तो पुरुषार्थ प्रारब्ध को नष्ट कर देता है। इसी प्रकार प्रारब्ध बलवान् हो और पुरुषार्थ निर्बल हो तो पुरुषार्थ निष्फल हो जाता है। अतः किसी एक को मान लेना उचित नहीं। पुनश्च प्रारब्ध चाहे निर्बल हो या बलवान् पुरुषार्थ और सदाचार को छोड़ना कदापि उचित नहीं क्योंकि प्रारब्ध का निर्माण पुरुषार्थ से ही होता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati