एपिसोड ५४२. "मैं स्वप्नावस्था का साक्षी हूँ"। तत्वबोधः १७., विचार चन्द्रोदय प्रश्न ५/११८-१२०। स्वप्न के समय जीव का स्थान - कण्ठ में स्थित अतिसूक्ष्म "हिता" नामक नाडी़। वहीं पर यह मन नयी सृष्टि की रचना कर लेता है और भांति भांति की लीला करता है। यह स्वप्नावस्था सूक्ष्म शरीर की है, मेरी नहीं। (नोट - स्वप्न के विषय में विस्तृत चर्चा पातञ्जल योगसूत्र की व्याख्या के क्रम में अनेक एपिसोड में कर चुके हैं। विशेष जानकारी के लिये पुराने प्रवचनों में खोज लेना चाहिये।)