एपिसोड 557. श्रीमद्भगवद्गीता (1)- *इसको पढ़ने-सुनने का अधिकार सभी वर्णों को है। यह वेदों-उपनिषदों का सारतत्व है। जिनको वेद पढ़ने का अधिकार नहीं उनको भी पुराण और इतिहास पढ़ने का अधिकार है। इतिहास कहते हैं रामायण और महाभारत को। भगवद्गीता महाभारत के अन्तर्गत है। अतः उपनिषद श्रेणी में इसकी गणना होते हुये भी इसको सभी पढ़ सकते हैं। *"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज" का वास्तविक अर्थ। * भगवद्गीता किसको नहीं सुनाना चाहिये - 1. जो तपरहित हो, 2.जो भक्तिरहित हो अर्थात् जो वेद शास्त्र ईश्वर संत और गुरुजनों में पूज्यभाव न रखता हो, 3. जो सुनना न चाहता हो, 4. जो भगवान् की निन्दा करता हो।