नारायण। श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन श्रृंखला आरम्भ किये हैं। ऐसा विचार आया कि श्रीमद्भगवद्गीता के मूलपाठ पर आने से पहले युद्ध की भूमिका की संक्षिप्त चर्चा कर दें। अतः पाण्डवों का वनवास और अज्ञातवास पूर्ण होने और अभिमन्यु का विवाह सम्पन्न होने के उपरान्त से लेकर युद्ध के आरम्भ तकका इतिहास अति संक्षेप में बतायेंगे। ध्यातव्य है कि भगवद्गीता का उपदेश तो युद्ध क्षेत्र में दोनों पक्षों की सेनाओं के डटने के उपरान्त युद्धारम्भ के ठीक पहले हुआ था। किन्तु भगवद्गीता के रूपमें धृतराष्ट्र और संजय का जो संवाद हम पढ़ते हैं वह युद्ध के दसवें दिन पितामह भीष्म के शरशय्या पर गिरने के उपरान्त का है।
इस एपिसोड में -
* पाण्डवों का राज्य वापस दिलाने के विषय में विराट की सभा में भगवान् श्रीकृष्ण, बलराम, सात्यकि और द्रुपद का भाषण।
*बलराम द्वारा युधिष्ठिर को भी दोषी कहना
* दुर्योधन और अर्जुन का द्वारका जाकर श्रीकृष्ण से सहायता मांगना और मनोवांछित सहायता प्राप्त करना।
*बलराम जी का किसी भी पक्ष से युद्ध न करने का वचन।