इस एपिसोड में मुख्य विन्दु *ज्ञान प्राप्ति के लिये शिष्यभाव आवश्यक है। *आत्मज्ञान के लिये केवल शिष्यभाव पर्याप्त नहीं, वैराग्य भी आवश्यक है। 9वें श्लोक में यदि "परंतप" पाठ मानें तो इसका तात्पर्य धृतराष्ट्र से है, किन्तु यदि "परंतपः" पाठ मानें तो इसका तात्पर्य अर्जुन से है। * अर्जुन की बात सुनकर भगवान् श्रीकृष्ण को हंसी क्यों आयी ? * "पण्डा" और "पण्डित" शब्दों का अर्थ।